Posted by admin on 2025-11-15 18:16:54
मुंबई। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। लेकिन इस तकनीक को केवल मशीनों तक सीमित रखने के बजाय इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि डॉक्टर इस पर भरोसा कर सकें और यह वास्तविक स्थितियों में प्रभावी सिद्ध हो। कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय (अमेरिका) के डेटा वैज्ञानिक और पीएचडी स्कॉलर डॉ. शिवम राय शर्मा इसी दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उनका शोध आईसीयू की जटिल अव्यवस्था से लेकर अल्ज़ाइमर जैसे रहस्यमय न्यूरोलॉजिकल रोगों तक विस्तृत है।
गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ARDS) उन स्थितियों में से है जिसे समय रहते पहचानना बेहद कठिन होता है। यह बीमारी यांत्रिक वेंटिलेशन पर निर्भर लगभग एक-चौथाई वयस्क मरीजों को प्रभावित करती है और इसकी मृत्यु दर 45% तक पहुंच जाती है। लंबे समय से चिकित्सक इस बीमारी की शुरुआती पहचान में संघर्ष कर रहे थे।
कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के चिकित्सकों, पल्मोनोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट के साथ मिलकर उन्होंने एक अत्याधुनिक मशीन लर्निंग मॉडल विकसित किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) और वेंटिलेटर वेवफॉर्म डेटा से ARDS के शुरुआती संकेतों को पहचानने में सक्षम है।
डॉ. शर्मा द्वारा विकसित मॉडल न केवल लगभग 90% सटीकता प्रदान करता है, बल्कि डॉक्टरों के लिए पर्याप्त रूप से व्याख्यायित होने के कारण उस पर भरोसा करना आसान है। उनकी डिजाइन रणनीति का सबसे बड़ा विशेष पहलू यह है कि उन्होंने इसे वास्तविक अस्पतालों में उपयोग होने को ध्यान में रखकर तैयार किया।
उनके मॉडल के दो संस्करण तैयार किए गए हैं— पहला मॉडल केवल चार EHR फीचर्स पर आधारित है। इसका लाभ यह है कि इसे किसी भी ICU में बिना अतिरिक्त संसाधनों के लागू किया जा सकता है। दूसरा मॉडल केवल वेंटिलेटर वेवफॉर्म पर निर्भर है, जो संसाधन-विवश क्षेत्रों, ग्रामीण अस्पतालों या युद्धक्षेत्र चिकित्सा में बेहद उपयोगी साबित हो सकता है, जहाँ पूर्ण स्वास्थ्य रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होते। इन मॉडलों की उपयोगिता और प्रभाव को देखते हुए कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय (यूएसए) स्वास्थ्य प्रणाली ने इसे पायलट परीक्षण के लिए मंजूरी दे दी है।
अल्ज़ाइमर और अन्य प्रकार के डिमेंशिया चिकित्सा विज्ञान की सबसे बड़ी पहेलियों में से हैं। इन रोगों के मूल कारण अभी भी काफी हद तक अज्ञात हैं। डॉ. शिवम राय शर्मा के शोध ने इस क्षेत्र में मौजूदा एआई मॉडलों की कई महत्वपूर्ण सीमाओं को उजागर किया है—विशेष रूप से यह कि वर्तमान एआई मॉडल उच्च-दांव वाली चिकित्सा परिस्थितियों में अपनी पहचान क्षमताओं को अक्सर सही तरीके से स्थानांतरित नहीं कर पाते।
डॉ. शर्मा का लक्ष्य ऐसे एआई सिस्टम विकसित करना है—
✔ जो कम डेटा में भी सटीक काम करें
✔ जिनका कम्प्यूटेशनल बोझ कम हो
✔ जिनके लिए भारी-भरकम एनोटेशन की आवश्यकता न पड़े
✔ और जो डॉक्टरों के निर्णय लेने में भरोसेमंद साबित हों
उनका यह शोध इतना महत्वपूर्ण माना गया है कि उन्हें न्यू आईपीएस 2025—दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित एआई सम्मेलन—में बायोमेडिकल-केंद्रित कार्यशाला प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि उनका कार्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा और एआई दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है।
चिकित्सा जैसी संवेदनशील और जीवन-निर्णायक फील्ड में एआई का उपयोग तभी सफल माना जा सकता है जब यह डॉक्टरों और मरीजों दोनों के लिए विश्वसनीय हो। डॉ. शर्मा के शोध की दिशा इसी सिद्धांत पर आधारित है—
कि एआई केवल दक्षता नहीं बढ़ाए, बल्कि ऐसा निर्णय दे जिसे चिकित्सक क्लिनिकल स्तर पर समझ सकें और उस पर भरोसा कर सकें।
इस शोध और आगामी तकनीकी विकास के बारे में अधिक जानकारी के लिए संपर्क किया जा सकता है:
डॉ. शिवम राय शर्मा: shivamraisharma@gmail.com
डॉ. राजेंद्र राय शर्मा (पिता): sairamnaturalgas@gmail.com
मो.: 9819776992
डॉ. शिवम राय शर्मा का कार्य न केवल चिकित्सा जगत में नई तकनीकी संभावनाओं का द्वार खोल रहा है, बल्कि यह भी सिद्ध कर रहा है कि एआई मानव जीवन को सुरक्षित, बेहतर और अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
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