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काशी विश्वनाथ मंदिर में 40 साल बाद नई सेवा नियमावली लागू, पुजारियों को राज्यकर्मी का दर्जा, वेतन और सुविधाओं में बड़ा इजाफा

राज्य उत्तर प्रदेश

Posted by admin on 2025-09-06 11:26:11

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काशी विश्वनाथ मंदिर में 40 साल बाद नई सेवा नियमावली लागू, पुजारियों को राज्यकर्मी का दर्जा, वेतन और सुविधाओं में बड़ा इजाफा

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी ऐतिहासिक बैठक में गुरुवार को एक बड़ा निर्णय लिया गया, जिसका सीधा लाभ मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों को मिलेगा। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की 108वीं बैठक में 40 वर्ष बाद कर्मचारी सेवा नियमावली को मंजूरी दी गई। इस नियमावली के लागू होने के बाद पुजारियों और कर्मचारियों को राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त होगा। इसके साथ ही उनका वेतन तीन गुना तक बढ़ जाएगा और उन्हें अन्य कई सुविधाएं भी मिलने लगेंगी। बैठक मंडलायुक्त एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में आयुक्त सभागार में आयोजित हुई, जिसमें करीब दो दर्जन प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। मंडलायुक्त ने बताया कि अभी तक पुजारियों को 30 हजार रुपये वेतन दिया जाता था, जो अब बढ़कर 80 से 90 हजार रुपये तक पहुंच जाएगा। अधिकारियों के अनुसार नई नियमावली के लागू होने से वेतन भत्ते में इजाफा होने के साथ ही पदोन्नति, अवकाश और अन्य लाभ भी कर्मचारियों को उपलब्ध होंगे। न्यास ने पुजारियों, कर्मचारियों और सेवादारों की नियुक्ति के लिए चार श्रेणियां तय की हैं और राज्यकर्मियों की तरह उन्हें ग्रेड और मैट्रिक्स भी प्रदान किया जाएगा।


गौरतलब है कि वर्ष 1983 में प्रदेश सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर का अधिग्रहण किया था और उसी वर्ष संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट लागू किया गया था। इसके बावजूद अब तक सेवा नियमावली तैयार नहीं हो सकी थी। कई बार इस दिशा में प्रयास हुए लेकिन मामला किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा। लंबे इंतजार के बाद अब कर्मचारियों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलने से मंदिर प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और स्थिरता आएगी।


बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद एवं कार्यपालक समिति के अंतर्गत तैनात कार्मिकों का मानदेय 30 फीसदी बढ़ाया जाएगा। पूर्णकालिक कार्मिकों को महंगाई भत्ता भी गत वर्ष की तरह दिया जाएगा। धाम में एक अत्याधुनिक डिजिटल संग्रहालय स्थापित करने की योजना को भी मंजूरी मिली है। इसके अलावा व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इम्पोरियम और अन्य संपत्तियों के संचालन के नए किराया दर तय किए जाएंगे। परिषद एक नई कंसल्टेंसी को भी नियुक्त करेगी, जो आयवृद्धि के नए विकल्प सुझाएगी।


श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशालाक्षी माता मंदिर तक कॉरिडोर बनाने के लिए भवन अधिग्रहण पर सहमति दी गई। सुगम दर्शन व्यवस्था के तहत अब वैकल्पिक रूप से लड्डू प्रसाद और रुद्राक्ष माला भी प्रदान की जाएगी। संगम तीर्थ जल आदान-प्रदान योजना को हरी झंडी दी गई है, जिसके माध्यम से सभी ज्योतिर्लिंगों को इस योजना से जोड़ा जाएगा। मंदिर न्यास ने मिर्जापुर स्थित अपनी भूमि को राज्य सरकार को देने का भी निर्णय लिया है, ताकि वहां वैदिक शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना हो सके।


बैठक में यह भी तय हुआ कि काशी विश्वनाथ मंदिर में दैनिक दर्शनार्थियों के परिचय पत्रों का नवीनीकरण फिर से शुरू किया जाएगा। धाम की सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए कंट्रोल रूम और कैमरों का आधुनिकीकरण एवं अपग्रेडेशन किया जाएगा। बेनीपुर-सारनाथ स्थित संकटहरण हनुमान मंदिर परिसर में गौशाला का आधुनिकीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही नगर के सभी माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों को वस्त्र, पुस्तकें, कंबल, स्वेटर और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए डीबीटी के जरिए धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं दंडी सन्यासियों को प्रतिदिन प्रसाद भोजन और 101 रुपये दक्षिणा प्रदान की जाएगी।

इस महत्वपूर्ण बैठक में न्यास के सदस्य सचिव एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, प्रमुख सचिव न्याय के प्रतिनिधि बालाकृष्ण एन. रंजन, विशेष सचिव एवं अपर विधि परामर्शक, वित्त विभाग शासन के प्रतिनिधि मुख्य कोषाधिकारी, भारतीतीर्थ महास्वामीजी के प्रतिनिधि, जगद्गुरू शंकराचार्य महासंस्थानम् दक्षिणाम्नाय और सिटी मजिस्ट्रेट रविशंकर सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।



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