Posted by admin on 2025-10-24 17:02:20
इस्लामाबाद: पाकिस्तान इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है—एक ओर आर्थिक संकट और दूसरी ओर पड़ोसी देश अफगानिस्तान के साथ तनाव। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में सब्जियों की कीमतें बेतहाशा बढ़ गई हैं, खासतौर से टमाटर के दामों ने आम जनता की रसोई को हिला दिया है। इस्लामाबाद, कराची, लाहौर और पेशावर जैसे शहरों में टमाटर 500 से 700 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है, जो सामान्य दर से पांच गुना अधिक है। कुछ सप्ताह पहले तक यही टमाटर 100 रुपए किलो के आसपास उपलब्ध था। यह उछाल सिर्फ मौसम या प्राकृतिक आपदाओं की वजह से नहीं, बल्कि पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य नीतियों के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में देखा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, हाल ही में पाकिस्तान की सेना ने अफगानिस्तान की सीमा के भीतर कुछ हवाई हमले किए थे, जिनका उद्देश्य मुनीर सेना के खिलाफ चल रहे अभियानों को निशाना बनाना बताया गया। सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने इन हमलों की सराहना करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया, लेकिन इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव तेजी से बढ़ गया। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के इस कदम को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी और सीमा पर कड़ी निगरानी के आदेश जारी किए। नतीजतन, 11 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच कई प्रमुख व्यापारिक मार्गों और सीमा चौकियों को बंद कर दिया गया, जिससे सीमा पार का व्यापार लगभग ठप हो गया।
अफगानिस्तान पाकिस्तान के लिए टमाटर, प्याज, आलू और अन्य सब्जियों का बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है। सीमा बंद होने के कारण हर दिन सैकड़ों ट्रकों में आने वाली ताज़ी सब्जियों की आपूर्ति अचानक रुक गई। पाकिस्तान में पहले से ही बाढ़ और भारी वर्षा के कारण कई कृषि क्षेत्रों में फसलें बर्बाद हो चुकी थीं, जिससे घरेलू उत्पादन पर असर पड़ा था। जब आयात भी बंद हो गया, तो देश के प्रमुख बाजारों में सब्जियों की कमी पैदा हो गई। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ा, जिनकी थाली से अब टमाटर गायब होता जा रहा है।
स्थानीय बाजारों में स्थिति इतनी गंभीर है कि टमाटर की कीमत अब चिकन से भी अधिक हो गई है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लाहौर और इस्लामाबाद के खुदरा बाजारों में चिकन 550 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि टमाटर 700 रुपए किलो तक पहुंच चुका है। पाकिस्तानी रसोई में टमाटर एक आवश्यक सामग्री मानी जाती है, जिसका उपयोग लगभग हर पकवान—चिकन, मटन और दाल की ग्रेवी में किया जाता है। कीमतों में आई इस उछाल ने मध्यमवर्गीय परिवारों के बजट को पूरी तरह बिगाड़ दिया है।
पाकिस्तान के समा टीवी और स्थानीय अखबारों की रिपोर्टों के मुताबिक, देश के व्यापारियों और थोक विक्रेताओं का कहना है कि मौजूदा स्थिति पूरी तरह आपूर्ति बाधा का परिणाम है। सीमा बंद होने से अफगानिस्तान से आने वाली सब्जियों के ट्रक खड़े हैं और टमाटर की नई खेप पाकिस्तान के बाजारों तक नहीं पहुंच पा रही। कई जगहों पर व्यापारी पुराने स्टॉक पर काम चला रहे हैं, जिससे गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। वहीं, बाढ़ से तबाह हुई स्थानीय फसलों ने संकट को और गहरा दिया है। पंजाब और सिंध प्रांत के कई हिस्सों में खेतों में पानी भर जाने से टमाटर की नई फसल तैयार नहीं हो सकी, जिससे घरेलू उत्पादन घट गया।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति इस बात का उदाहरण है कि सैन्य नीतियां जब अर्थव्यवस्था पर हावी हो जाती हैं, तो उसका असर आम जनता पर कितना गहरा पड़ता है। अफगानिस्तान के साथ तनाव सिर्फ सीमित सैन्य विवाद नहीं, बल्कि एक आर्थिक संकट की जड़ बन चुका है। पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान पहले ही महंगाई, विदेशी मुद्रा की कमी और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। ऐसे में खाद्य आपूर्ति बाधित होने से स्थिति और बिगड़ गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर महीने में पाकिस्तान की खाद्य महंगाई दर 31 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। अब यह आंकड़ा आने वाले महीनों में और बढ़ने की आशंका है।
पाकिस्तान सरकार ने कीमतों पर नियंत्रण के लिए अस्थायी उपायों की घोषणा की है, जिनमें स्थानीय बाजारों में सस्ती सब्जियों की बिक्री केंद्र खोलने और सीमा पर व्यापार को जल्द बहाल करने के प्रयास शामिल हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सीमा पूरी तरह नहीं खुलती और अफगानिस्तान से आपूर्ति पुनः शुरू नहीं होती, तब तक राहत मिलना मुश्किल है। व्यापारिक संगठनों ने सरकार से अपील की है कि वह अफगानिस्तान के साथ संवाद बहाल करे और सीमा चौकियों को खोलने के लिए कूटनीतिक रास्ता अपनाए।
इस बीच, आम जनता महंगाई से बेहाल है। कराची के एक सब्जी विक्रेता मोहम्मद फैज़ का कहना है कि “हमारे पास टमाटर की खेप सीमित है, जो दो दिन में खत्म हो जाएगी। नई खेप के आने की कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए कीमतें और बढ़ सकती हैं।” दूसरी ओर, उपभोक्ता शिकायत कर रहे हैं कि इतनी महंगाई में रसोई चलाना मुश्किल हो गया है। कई परिवार अब टमाटर की जगह दही या इमली का इस्तेमाल करने लगे हैं ताकि खर्च कुछ कम हो सके।
स्थिति का असर केवल टमाटर तक सीमित नहीं है। प्याज, आलू और हरी मिर्च जैसी अन्य सब्जियों की कीमतों में भी 50 से 70 प्रतिशत तक का उछाल देखा जा रहा है। कई खुदरा दुकानदारों ने बताया कि वे सीमित स्टॉक पर काम कर रहे हैं और रोजाना कीमतों में बदलाव करना पड़ रहा है। इस संकट का एक सामाजिक पहलू भी उभर रहा है, जहां गरीब तबके के लोग अब सब्जियों की खरीदारी कम कर रहे हैं और दैनिक आहार में सस्ते विकल्प खोज रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना के अफगानिस्तान में किए गए हमलों के बाद जो तनाव बढ़ा है, उसका सीधा आर्थिक असर देश की जनता पर पड़ा है। मुनीर सेना द्वारा अपनाई गई आक्रामक नीति ने घरेलू बाजार की स्थिरता को प्रभावित किया है। अफगानिस्तान, जो पाकिस्तान के लिए पारंपरिक व्यापारिक साझेदार रहा है, अब अपनी आपूर्ति को सीमित कर रहा है। यदि दोनों देशों के बीच संवाद जल्द बहाल नहीं हुआ, तो आने वाले हफ्तों में पाकिस्तानी बाजारों में खाद्य वस्तुओं की कमी और गहराने की संभावना है।
इस पूरी स्थिति में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि राजनीतिक और सैन्य टकराव का सबसे बड़ा खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है। जब सीमा पर बंदूकें चलती हैं, तो उसके बाद बाजारों में महंगाई का तूफान उठता है। पाकिस्तान में टमाटर की आसमान छूती कीमतें इसी सच्चाई की गवाही दे रही हैं। आम पाकिस्तानी के लिए यह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक संकट भी है, जो उसे हर रोज की जरूरतों के बीच अपनी प्राथमिकताएं बदलने पर मजबूर कर रहा है। सरकार और सेना अब इस दबाव को महसूस कर रही हैं कि स्थिति को संभाले बिना जनता का असंतोष बढ़ सकता है। इस्लामाबाद से लेकर पेशावर तक रसोई में छाए इस ‘लाल संकट’ ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि पड़ोसी देशों के साथ स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध किसी भी राष्ट्र की आर्थिक स्थिरता की कुंजी हैं।
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