Posted by admin on 2025-11-13 16:01:51
लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट ने एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फरीदाबाद-अधारित मॉड्यूल से जुड़ी पुलिस-एजेंसियों की छापेमारी में अब तक 12 संदिग्ध पकड़े जा चुके हैं — जिनमें आधे यानी 6 डॉक्टर बताए जा रहे हैं — और ब्लास्ट में कथित रूप से मारे गए व्यक्ति की पहचान डॉ. उमर नबी के रूप में हुई है। इस एक्सप्लेनर में हम घटनाक्रम, शक के पहलू, संभावित मक़सद और सवाल — “क्या यह फिदायीन हमला था?” — को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
कार में मिला उमर — मॉड्यूल का ‘व्हाइट कॉलर’ चेहरा?
पुलिस और फॉरेन्सिक टीमों के अनुसार लाल किला के पास जिस i20 कार में विस्फोट हुआ था, उसकी बार-बर तलाशी में कार से उमर की हड्डियाँ, दांत, खून लगे कपड़ों के टुकड़े और एक पैर का हिस्सा मिला — जिसे शुरुआती तौर पर स्टेयरिंग व्हील और एक्सीलेटर के बीच फंसा पाया गया। उमर का डीएनए उसकी मां के डीएनए से मैच किया गया। कब्जे में मिली डायरी, मोबाइल डंप और अन्य साक्ष्यों से यह निष्कर्ष सामने आया कि यह एक संगठित अंतरराज्यीय मॉड्यूल था जिसका केंद्र फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी बताया जा रहा है।
पुलवामा जिले के सम्बूरा का रहने वाला उमर (जन्म 1993) GMC श्रीनगर का MBBS पासआउट था। वह पहले हरियाणा के फरीदाबाद में अल-फलाह यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में सीनियर डॉक्टर/असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहा था। परिवार और चचेरे भाइयों ने बताया कि वह इंट्रोवर्ट था और पढ़ाई-परफेशन पर ध्यान देता था। परन्तु अफसरों के मुताबिक़ उसकी और उसके सहयोगियों की डायरी और प्लानिंग से पता चलता है कि वह कम-से-कम रेकी और हमले की तैयारी में शामिल था।
क्या यह फिदायीन (सैवेरे) हमला था — चार संभावित परिदृश्य
जांच टीमों ने चार संभावित सिनेरियो रखे हैं — जिनमें से किसी को भी अभी तक आधिकारिक तौर पर पक्के तौर पर पुष्ट नहीं किया गया है:
हड़बड़ी में ब्लास्ट — अन्य साथियों की गिरफ्तारी के बाद उमर घबराया और कार को ट्रांसपोर्ट/छिपाने के दौरान बम अनजाने में फट गया। फॉरेंसिक्स ने डिवाइस को 'हैस्टिली असेंबल्ड' बताया, जो इस सम्भावना को जोडता है।
जानबूझकर सुसाइड/फिदायीन — पकड़े गए सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद उमर ने इरादतन डेटोनेटर चलाकर विस्फोट करवा दिया — और इसे किसी संगठन के सैद्धान्तिक समर्थन से जोड़ा जा रहा है।
मैकेनिकल/टेक्निकल फॉल्ट — गलत वायरिंग या केमिकल प्रतिक्रिया/कंपन से डेटोनेटर दबने के कारण विस्फोट हुआ। कार 3 घंटे तक लाल किले के पास पार्किंग में खड़ी थी, इसलिए यह परिस्थिति भी जाँची जा रही है।
तीसरे व्यक्ति ने ट्रिगर किया — कार पार्किंग में लंबे समय तक खड़ी थी; संभव है किसी और ने मिलने के बहाने आकर विस्फोट कर दिया हो।
सेनियल-लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (रिटायर्ड) ने भी कहा है कि अभी कोई आधिकारिक जिम्मेदारी वाले बयान नहीं आए हैं — फिदायीन कार्रवाईयों के बाद आम तौर पर कोई संगठन जिम्मेदारी लेता है, किन्तु फिलहाल ऐसा नहीं दिखा।
मॉड्यूल की प्लानिंग — डायरी, रेकी और लक्ष्य
जांच में पकड़े गए आरोपियों के मोबाइल डंप और ज़ब्त डायरी से यह बात सामने आई कि जनवरी में उमर और डॉ. मुजम्मिल गनी ने लाल किले की कई बार रेकी की थी — सुरक्षा और भीड़ के पैटर्न को समझने के उद्देश्य से। डायरी में 8 से 12 नवंबर की तारीखें दर्ज हैं और लगभग 25 लोगों के नाम लिखे मिले — जो ज्यादातर जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद के रहने वाले बताए जा रहे हैं।
आरोपियों के मुताबिक़ 6 दिसंबर एक संभावित निशाना था — तारीख को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी से जोड़ा गया था — तथा सिलसिलेवार विस्फोटों की योजना भी थी: एक साथ कई शहरों में विस्फोट कराने का इरादा था (दिल्ली, लखनऊ, अहमदाबाद, मुंबई आदि)। मुजम्मिल के एक किराए के कमरे से बरामद डायरी और बोरियों में छुपाए गए सामानों की पड़ताल से पता चला कि विस्फोटक सामग्री छुपाकर रखी जा रही थी — जिसे पड़ोसियों ने “खाद की बोरी” बताकर देखा था।
क्यों 'डॉक्टर' — व्हाइट कॉलर टेरर का तर्क
इस केस ने चिंता बढ़ा दी है कि अब ‘व्हाइट कॉलर’ मॉड्यूल — उच्च-शिक्षित और सम्मानित पेशेवरों पर आधारित नेटवर्क — सक्रिय हुआ है। जांच एजेंसियों के संकेतों के मुताबिक़: डॉक्टरों की पेशेवर पहचान और सम्मान उन्हें शंकारहित होकर सामान, केमिकल और लॉजिस्टिक्स छुपाने में मदद देती है। यूनिवर्सिटी और अस्पतालों की पहुंच और फ्रंट से उपकरण या सामग्री का आवागमन कम टाल-मटोल में किया जा सकता है।
पढ़े-लिखे युवाओं को रेडिकलाइज़ करना और चैरिटी/रिलीफ फ्रंट के जरिए फंडिंग छुपाना आसान होता है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नेटवर्क इस मॉड्यूल के लिए बेस बन गया — जहाँ करीब 40% डॉक्टर कश्मीरी बताए जाते हैं।
पकड़े गए 12 आरोपियों में 6 डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं — जिनमें डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ. शाहीन शाहिद, डॉ. आदिल अहमद, डॉ. सज्जाद अहमद, डॉ. परवेज अंसारी व डॉ. तजामुल अहमद मलिक शामिल हैं। एक संदिग्ध डॉ. निसार फरार बताया जा रहा है, जिस पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने कार्रवाई की है।
जैश-ए-मोहम्मद से कनेक्शन — क्या तार जुड़े हैं?
आरोपियों और बरामद डायरी/डायरियों के कोड वर्ड तथा कुछ पोस्टरों के हवाले से जांच में यह आशंका है कि मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद/संबंधित नेटवर्कों से जुड़ा हो सकता है। आरोपियों ने कथित तौर पर अलग-अलग शहरों में विस्फोटों की पांच-फेज योजना बनाकर 6 दिसंबर जैसा लक्ष्य चुना था। एक नोटिस (19 अक्टूबर) में जैश का नाम भी आने की बात जांच एजेंसियों ने बताई है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर किसी बड़े संगठन की जिम्मेदारी अभी तक सार्वजनिक रूप से स्वीकारी नहीं गयी है।
अभी बहुत कुछ जांच का विषय है
फरवरी से नवंबर तक के सबूत, मोबाइल डंप, डायरी और फॉरेंसिक—सब मिलकर यह दिखाते हैं कि यह एक संगठित मॉड्यूल की क्रिया-प्रणाली थी, परन्तु क्या यह सीधे तौर पर फिदायीन (सुसाइड/डायरेक्ट) हमला था या पैनिक/तकनीकी कारण से हुआ विस्फोट — पूरे प्रमाणों की क्रॉस-तपास के बाद ही तय होगा। अभी जिन तथ्यों पर जोर है वे हैं: डॉक्टर-आधारित मॉड्यूल का अस्तित्व, लाल किले की रेकी की पुष्टि, और 6 दिसंबर जैसे निशानों की योजना। जांच जारी है; पुलिस-एजेंसियाँ कोड वर्ड, डायरी के रिकॉर्ड और संदिग्ध व्यक्तियों के नेटवर्क की गहन छानबीन कर रही हैं। जैसे ही अधिक पुष्ट और आधिकारिक जानकारी मिलती है, उसे साझा किया जाएगा।
साभार- एबीपी न्यूज
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