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अचार बन सकता है ‘जहर’! डॉक्टर बोले – “खाने से पहले इन 3 बातों का जरूर रखें ध्यान”

लाइफस्टाइल खान-पान

Posted by admin on 2025-11-13 16:12:34

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अचार बन सकता है ‘जहर’! डॉक्टर बोले – “खाने से पहले इन 3 बातों का जरूर रखें ध्यान”

नई दिल्ली,  भारतीय थाली में अगर अचार न हो, तो जैसे खाने का स्वाद अधूरा लगता है। चाहे दाल-चावल हो या पराठा, अचार एक ऐसा साथी है जो हर बोरिंग डिश को भी चटपटा बना देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही अचार, अगर सही तरीके से बनाया या रखा न जाए, तो सेहत के लिए ‘जहर’ भी साबित हो सकता है? हाल ही में हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अदितिज धमीजा ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा केस शेयर किया, जिसने लोगों को चौंका दिया।

डॉ. धमीजा बताते हैं कि अचार के कारण पूरी की पूरी एक फैमिली को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। जांच में सामने आया कि दोष न तो मसाले का था और न ही तेल का, बल्कि गलती थी — अचार को सही तरीके से प्रिजर्व न करने की। डॉक्टर ने चेतावनी दी है कि अगर आप अचार बनाते या खरीदते हैं, तो उसकी स्टोरेज से जुड़ी तीन अहम बातों को नजरअंदाज बिल्कुल न करें।


कैसे ‘जहर’ बन सकता है अचार?

डॉ. धमीजा बताते हैं कि अगर अचार को लंबे समय तक गंदे या अधकच्चे बर्तनों में रखा जाए, तो उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। यही बैक्टीरिया ‘बोटुलिज्म’ (Botulism) नामक एक टॉक्सिन छोड़ते हैं, जो बेहद खतरनाक होता है। यह टॉक्सिन न सिर्फ फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है, बल्कि शरीर के नर्व सिस्टम को पैरालाइज भी कर सकता है। डॉक्टर के मुताबिक, यह टॉक्सिन इतना शक्तिशाली होता है कि कई मामलों में यह जानलेवा साबित हो चुका है।

डॉ. धमीजा कहते हैं, “लोग समझते हैं कि घर का बना अचार सुरक्षित होता है, लेकिन अगर उसे सही तरीके से स्टोर नहीं किया गया, तो वही सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। दरअसल, अचार में नमी, तेल और नमक — ये तीनों चीजें बैक्टीरिया की वृद्धि पर असर डालती हैं। ज़रा सी चूक और आपका मनपसंद अचार शरीर के लिए ज़हर बन सकता है।”


डॉक्टर की सलाह: अचार स्टोर करते समय रखें इन 3 बातों का खास ध्यान

हमेशा साफ और स्टेरिलाइज जार का इस्तेमाल करें

अचार बनाने की सबसे पहली शर्त है — साफ-सुथरा बर्तन। डॉक्टर धमीजा के अनुसार, “अचार को हमेशा किसी कांच के जार या मर्तबान में स्टोर करें।” कांच का बर्तन न सिर्फ रासायनिक रूप से सुरक्षित होता है, बल्कि यह नमी और धूप से भी अचार को बेहतर तरीके से बचाता है।


प्लास्टिक और मेटल से क्यों बचें?

प्लास्टिक के डिब्बों में अक्सर केमिकल रिसाव (leaching) की समस्या होती है, जो लंबे समय तक तेल और नमक के संपर्क में आने पर हानिकारक हो सकती है। वहीं, धातु के डिब्बों में सिरके या नींबू की एसिडिटी से रासायनिक प्रतिक्रिया हो सकती है, जिससे अचार की गुणवत्ता और स्वाद दोनों खराब हो जाते हैं।


कैसे करें जार को तैयार:

पहले जार को गर्म पानी में उबालें या धो लें।

फिर उसे पूरी तरह सूखने दें।

जार में नमी रह जाने पर बैक्टीरिया और फंगस जल्दी पनपते हैं।

इस एक छोटी सी सावधानी से अचार महीनों तक सेफ और स्वादिष्ट रह सकता है।


 तेल और सिरके की मात्रा रखें संतुलित


डॉ. धमीजा बताते हैं कि अचार की लंबी उम्र और सुरक्षा का सीधा संबंध तेल और सिरके की मात्रा से होता है। अगर तेल या सिरका कम पड़ा, तो अचार के अंदर मौजूद हवा और नमी से बैक्टीरिया का विकास शुरू हो जाता है।

कैसे समझें तेल-सिरका कम है या ज्यादा:

अचार के टुकड़े तेल में पूरी तरह डूबे होने चाहिए।

अगर ऊपर से तेल सूख जाए या अचार की सतह पर सूखापन दिखे, तो तुरंत थोड़ा गर्म तेल डाल दें।

सिरके की मात्रा भी ऐसी होनी चाहिए कि उसका खट्टापन महसूस हो, लेकिन स्वाद पर भारी न पड़े।


फंगस का खतरा:

डॉ. धमीजा बताते हैं, “कई बार ऊपर की परत पर हल्की फफूंदी दिखने लगती है, जिसे लोग निकालकर अचार फिर खा लेते हैं। यह गलती न करें। ये फंगस ‘मायकोटॉक्सिन्स’ पैदा करते हैं, जो लिवर और किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।”


 अचार में कोई बदलाव दिखे तो तुरंत फेंक दें

अक्सर लोग पुराने अचार को सालों तक संभालकर रखते हैं, यह सोचकर कि “अचार जितना पुराना, उतना स्वादिष्ट।” लेकिन डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि ऐसा करना बेहद खतरनाक है।

यदि आपके अचार में ये बदलाव दिखें —

रंग बदल जाए (जैसे हरा से काला या भूरा हो जाए),

सड़ी-गली गंध आने लगे,

या जार के अंदर गैस के बुलबुले बनने लगें,

तो इसे तुरंत फेंक दें। ये सभी संकेत हैं कि अचार के अंदर बैक्टीरियल एक्टिविटी शुरू हो चुकी है। ऐसे अचार को खाने से फूड पॉइजनिंग, पेट दर्द, उल्टी और बोटुलिज्म जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।


केस स्टडी: एक परिवार की गलती, जो बन गई सबक

डॉ. धमीजा ने अपने एक मरीज का उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली-एनसीआर की एक फैमिली ने घर का बना अचार करीब तीन महीने पुराना खाया। कुछ ही घंटों में सभी सदस्यों को उल्टी, चक्कर और कमजोरी महसूस हुई।

जांच में पता चला कि अचार के जार में नमी थी और तेल की परत ऊपर से सूख चुकी थी। इस वजह से क्लोस्ट्रिडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया ने टॉक्सिन्स रिलीज कर दिए थे। परिवार के चारों सदस्य आईसीयू में भर्ती हुए, जिनमें से एक को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी। डॉक्टर का कहना है — “अगर अचार में ज़रा सा भी शक हो, तो उसे खाने से बेहतर है फेंक देना। जान से बढ़कर कोई अचार नहीं।”


अचार को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के घरेलू उपाय

धूप में सुखाना:

अचार को तैयार करने के बाद दो-तीन दिन तक हल्की धूप में रखें। इससे नमी निकल जाएगी और फंगस का खतरा घटेगा।

सही जगह स्टोर करें:

अचार के जार को ठंडी, सूखी और हवादार जगह पर रखें।

नियमित जांच:

हर 15-20 दिन में अचार का रंग, गंध और तेल की परत चेक करें।


हाथ न डालें:

अचार निकालने के लिए हमेशा साफ और सूखे चम्मच का इस्तेमाल करें।

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