Posted by admin on 2025-09-23 20:07:13
शारदीय नवरात्रि का हर दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इन नौ दिनों में माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि का तीसरा दिन देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। सनातन परंपरा में मां चंद्रघंटा की उपासना से साधक को साहस, शौर्य और निडरता की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और साधक को दिव्य आभा प्राप्त होती है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और करुणामयी है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी शोभायमान रहती है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। यह स्वरूप भक्तों के लिए शांति और भयमुक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना करने से व्यक्ति को आत्मबल मिलता है और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान रहती हैं और इनके दस हाथ हैं। इनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण हैं और एक हाथ में कमल पुष्प। यह रूप साधकों को बताता है कि मां करुणा और प्रेम का भी प्रतीक हैं, लेकिन जब अधर्म बढ़ता है, तो वे रक्षक और संहारक भी बन जाती हैं।
मां चंद्रघंटा की उपासना करने से —
सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
साधक को अद्भुत पराक्रम और वीरता की प्राप्ति होती है।
शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
जीवन में समृद्धि और शांति आती है।
पूजन से पहले आवश्यक सामग्री का संकलन करना जरूरी है।
मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र
घी, गंगाजल, दूध और शहद
पुष्प (पीले और सफेद कमल, गुलाब)
सिंदूर, चंदन और अक्षत
धूप, दीपक और घंटा
खीर व दूध से बनी मिठाइयां
पांच प्रकार के फल
नारियल, पान व सुपारी
प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
घी का दीपक जलाकर पूजा की शुरुआत करें।
मां को लाल रंग की चुनरी और वस्त्र अर्पित करें।
खीर व मिश्री का भोग लगाएं और पुष्प चढ़ाएं।
धूप-दीप जलाकर आरती करें।
मां के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा सप्तशती अथवा दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
संध्या काल में भी आरती अवश्य करें।
प्रिय भोग: खीर और दूध से बनी मिठाइयां।
प्रिय पुष्प: सफेद कमल और पीले गुलाब।
प्रिय रंग: पीला और सुनहरा।
नवरात्रि के तीसरे दिन साधक को विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए।
बीज मंत्र:
ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः
दूसरा मंत्र:
ॐ श्रीं हीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः
स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इन मंत्रों का जप रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार करना शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से —
भय और शत्रुओं से रक्षा होती है।
साहस और आत्मबल में वृद्धि होती है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
साधक को शांति और मानसिक स्थिरता मिलती है।
नवरात्रि का तीसरा दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। घर-घर में भक्तजन व्रत रखते हैं, मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं और देवी मंडपों में लोग श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं। मां चंद्रघंटा की उपासना से समाज में एकता, शांति और सद्भाव का संदेश मिलता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा भयमुक्त जीवन, आत्मबल और साहस प्रदान करती है। इस दिन अगर भक्त सच्चे मन से मां का ध्यान करें, तो उनके सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। नवरात्रि का यह दिन साधकों के लिए न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि सांस्कृतिक आस्था को भी गहराई देता है।
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